ये तारे सब खोटे
- डा. राज सक्सेना
एक दिवस तारे सब मिलकर,
चंदा के घर आये |
चंदा की मम्मी से सबने,
मीठे बोल सुनाये |
मम्मी तुम चंदा भैया का,
ध्यान नहीं कुछ रखतीं,
इतना बड़ा हो गया फिर भी,
ब्याह नहीं क्यों करतीं |
क्यों बूढा करतीं भैया को,
जल्दी ब्याह करा दो |
सुन्दर सी एक नई नवेली ,
उसको दुल्हन ला दो |
चन्दा की मम्मी सुन बोली,
कैसे ब्याह करादूं |
घटे बढे जो रोज इसी सी,
दुल्हन कैसे ला दूँ |
दिवस अमावस का जब होगा,
कैसे सबर करेगी |
साथ इसी के वह कोमल भी,
हर क्षण सफ़र करेगी |
ये है पुरुष नियति है इसकी,
अजब खेल यह खेले |
पर जो बंधे साथ में इसके,
वह क्योँ यह सब झेले |
सुन संतुष्ट हुए तारे सब,
अपने घर सब लौटे |
चन्दा ने माँ पर भेजे थे,
ये तारे सब खोटे |
-धन वर्षा, हनुमान मंदिर,
खटीमा-262308 (उ.ख)
मो. 09410718777
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