शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

मानव सेवा


       मानव सेवा
मानव सेवा में निज मन को,
हर समय सदा तैयार रखो |
यह अन्य किसी के काम आये,
यह सोच सदा हर बार रखो |

जीवन है चन्द  बहारों का,-
इन चन्द बहारों को लेकर  |
आनन्द उठाओ जीने  का,
जीवन्त हर घड़ी को जीकर |

हर पल हर सेवा में तत्पर,
तन,मन,धन,परिवार करो |
मानव सेवा में निज मन को,
हर समय सदा तैयार रखो |

कुछ जीते जीवन बदतर सा,
इनको तुम जीना सिखलाओ |
जो भोग रहे हैं नर्क  यहां,
एक झलक स्वर्ग की दिखलाओ |

मिल जाय दुखी यदि राहों में,
उसका भी तुम सत्कार  करो |
मानव सेवा में निज मन को,
हर समय सदा तैयार रखो |

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