काव्यान्जलि
- डा.राजसक्सेना
हे बाल काव्य के 'बाल'दूत,
साहित्य विधा के'शौरि'श्रेष्ट |
हे ब्रह्म'रेडिड्',सम्पाद - दक्ष,
आदित्य-रूप, हे सर्व-श्रेष्ट |
रक्षक बन 'चन्दा - मामा' के,
पच्चीस वर्ष जगमग करके |
बन गए बालसाहित्यशिखर,
अनुपमतम-सम्पादन करके |
पैरों पर अपने खड़ा किया,
भूलुण्ठित बाल विधाओं को |
साहित्य जगत में स्थापित,
कर दिया नवल सीमाओं को |
हे बाल सृष्टि-साहित्य जनक,
इतिहास आपने रच डाला |
दोयम दर्जा, जो रहा सदा,
समकक्ष 'अन्य' के कर डाला |
नवजीवन दे बालविधाओं को,
श्रीमय कर वैभव पूर्ण किया |
करदिया आपने उज्जवलतम,
गरिमामण्डित-सम्पूर्ण किया |
आभारी हैं हम, नर - पुंगव -,
गुणगान आपका गाते हैं |
ले श्रेष्ट-सोच, सादा - जीवन,
नित श्रेष्ट आप बन जाते हैं |
'श्रद्धेय आपने , ' रेडडी ' जी ,
स्वर्णिम - इतिहास बनाया है |
जो नहीं कर सका था कोई,
वह ही करके दिखलाया है |
कर - वद्ध निवेदन प्रभु से है,
सौ-सौ वर्षों तक जियें आप |
कुछ और रचें मानक नितनित,
शतशत कमलों से खिलें आप |
-धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
खटीमा-262308 (उ.ख.)
मोबा.- 9410718777
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