हिस्सा बनो मत भीड़ का
- डा.राज सक्सेना
अवसर मिले नेतृत्व लो,
हिस्सा बनो मत भीड़ का |
हो नहीं तुम आमजन में,
हो यहां सबसे अलग |
तुम चलाओगे व्यवस्था,
आम लोगों से अलग |
छवि मसीहा की बना-,
कारण बनो मत पीड़ का |
अवसर मिले नेतृत्व लो,
हिस्सा बनो मत भीड़ का |
क्या समस्या है यहां पर,
हल न कर पाओ जिसे ?
तोड़ पर्वत राह का ,
समतल बना जाओ उसे |
लहलहाएं बस्तियां -,
अंकुर उगे नित नीड़ का |
अवसर मिले नेतृत्व लो,
हिस्सा बनो मत भीड़ का |
है जरूरत'राज'जग को,
एक ऐसे मंत्र की |
एक चुट्की में करे हल,
यातना हर तंत्र की |
मत बनो उप अंग कोई,
रूप लो तुम रीढ का |
अवसर मिले नेतृत्व लो,
हिस्सा बनो मत भीड़ का |
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