शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

dhamki dekar

             धमकी देकर 
                    - डा.राज सक्सेना
               बना दो यह सम्भव हे राम |
धमकी देकर डंसते कैसे, ये मच्छर बदनाम |
कान अगर मिलते हाथी से, कितने आते काम |
             बना दो यह सम्भव हे राम |
यदि जिराफ सी गर्दन होती,हम खजूर खा आते,
सबसे ऊंची डाल पे लटका,सेब तोड़ कर   खाते |
घर में बैठे-बैठे खाते,    छत पर पड़े बादाम |
              बना दो यह सम्भव हे राम |
सारस सी टांगें मिल जातीं,ओलम्पिक में जाते ,
पदक जीतकर सभी दौड़ के,हम भारत जब आते |
एरोड्रम पर करने आते, हमको सभी  सलाम |
              बना दो यह सम्भव हे राम |
पेट जो मिलता ऊंट सरीखा, जब दावत मे जाते,
पन्द्रह दिन का खाना खाकर्,घर वापस हम आते |
हफ्तों-हफ्तों करते रहते,    घर में ही आराम |
              बना दो यह सम्भव हे राम |
बन्दर जैसी तरल चपलता,थोड़ी सी पा   जाते ,
छीन कचौड़ी मां के कर से,बैठ पेड़ पर   खाते |
बदले में मां को ला देते, पके डाल के   आम |
              बना दो यह सम्भव हे राम |
गरूण सरीखे पर मिल जाते, विश्व घूमकर आते,
दिल्ली से न्युयार्क मुफ्त में, निशिदिन आते-जाते |
एयर टिकिट न लेना पड़ता, खर्च न  होते दाम |
              बना दो यह सम्भव हे राम |

   धनवर्षा,हनुमान मन्दिर ,खटीमा-२६२३०८ (उ०ख०)

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