बुधवार, 27 जुलाई 2011

ye taare sab khote

           ये तारे सब खोटे
                   - डा. राज सक्सेना 
एक दिवस तारे सब मिलकर,
चंदा के घर  आये |
चंदा की मम्मी से सबने,
मीठे बोल सुनाये |

मम्मी तुम चंदा भैया का,
ध्यान नहीं कुछ रखतीं,
इतना बड़ा हो गया फिर भी,
ब्याह नहीं क्यों करतीं |

क्यों बूढा करतीं भैया को,
जल्दी ब्याह  करा दो |
सुन्दर सी एक नई नवेली ,
उसको दुल्हन ला दो |

चन्दा की मम्मी सुन बोली,
कैसे ब्याह  करादूं |
घटे बढे जो रोज  इसी सी,
दुल्हन कैसे ला दूँ |

दिवस अमावस का जब होगा,
कैसे सबर करेगी |
साथ इसी के वह कोमल भी, 
हर क्षण सफ़र करेगी  |

ये है पुरुष नियति है इसकी,
अजब  खेल  यह खेले |
पर जो बंधे साथ में  इसके,
वह क्योँ यह सब झेले |

सुन संतुष्ट हुए तारे सब, 
अपने घर सब लौटे |
चन्दा ने माँ पर भेजे थे,
ये तारे सब खोटे |

    -धन वर्षा, हनुमान मंदिर,
खटीमा-262308 (उ.ख)
मो.  09410718777

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