-डा.राज सक्सेना
मां पहिये लगवाले घर में,
सचल भवन हो जाएगा |
पापा रखलें एक ड्राइवर ,
जो हर जगह घुमाएगा |
स्टेशन,बस अड्डे सबकी,
बचेंगे मारा-मारी से |
पन्द्र्ह दिन तक होनेवाली,
थकन भरी तैयारी से |
पूसी,टामी,मिट्ठू के संग ,
छुट्टू चूहा जाएगा |
अविरल टूर बनाएगा |
पापा-मम्मी साथ रहेंगे,
दीदी साथ निभाएगी |
दादा-दादी छूट न पाएं,नानी भी आ जाएगी |
प्यारा भय्या अर्जुन मेरा,
साथ घूम कर आएगा |
अविरल टूर बनाएगा |
लेह और लद्दाख घूम कर,
श्री-नगर हम जाएंगे |
वहां गए तो अमरनाथ के,
दर्शन भी कर आएंगे |
झझंट नहीं गरमपानी का,
गीज़र साथ निभाएगा |
अविरल टूर बनाएगा |
जयपुर से अजमेर घूमकर,
जायेंगे हम दिल्ली को |
कनाट प्लेस पर चाट्पकौड़ी,
ला दें पूसी बिल्ली को |
उसको खाते देख भौंक-कर ,
टामी शोर मचाएगा |
अविरल टूर बनाएगा |
लखनऊ अपना देखा-भाला,
कर्नाट्क हो आएंगे |
विधानसभा कैसी लगती है,
फोटो वहां खिंचाएंगे |
मिट्ठू तोता करे नमस्ते ,
छुट्टू भी चिंचियाएगा |
अविरल टूर बनाएगा |
सीधे-सीधे केप्-कमोरिन ,
कन्याअन्तरीप पर जाएँ |
बैठ विवेकानन्द शिला पर,
राष्ट्र-गीत भारत का गायें |
बिनारुके घर् सीधा वापस,
"दूरान्तो" सा आएगा
अविरल टूर बनाएगा |
धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
खटीमा - २६२३०८(उ०ख०)
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