शनिवार, 27 अगस्त 2011

एक सवाल


       एक सवाल
            - डा.राज सक्सेना
एक पुत्र ने,निश्छल मन से,
किया पिता से एक  सवाल |
हिन्दू-मुस्लिम होते क्या हैं,
कभी-कभी क्यों करें बबाल |

पापा बोले धर्म  अलग   है,
कुछ आचार नहीं मिलते  हैं |
सामाजिक कुछ नियम अलग है,
मूल विचार नहीं  मिलते  हैं |

मन्दिर में हिन्दू   की  पूजा,
मस्जिद में मुस्लिमी नमाज |
हिन्दू रखें अनेकों,एक माह के-,
रोजे रखता , तुर्क   समाज |

'पापा मन्दिर' बोला  बेटा,
का निर्माण ,करे  भगवान  |
या फिर रचना हर मस्जिद की,
आकर खुद करता  रहमान |

सब धर्मी  मजदूर   मिस्त्री,
मिल कर इनको यहां बनाते |
बन कर पूरा, होते ही क्यों,
दोनों अलग-अलग हो  जाते |

हिन्दू कहता ईश   एक  है,
मुस्लिम कहता  एक खुदा |
जैन,बौद्ध और सिख,ईसाई,
मिलकर भी क्यों रहें  जुदा |

बच्चे हम सब एक पिता के,
ना पूजा घर एक बनाते  |
हमसब के त्योहार अलग क्यों,
मिलकर हम क्यों नहीं मनाते |

ईश पिता जब एक  सभी का,
फिर तनाव की बात कहां  है |
सबका ईश्वर एक  जगत  में,
सबकी धरती एक  जहां   है |

रक्त एक सा, शक्ल  एक सी,
सब कहते  हम  हिन्दुस्तानी |
बच्चे मिलकर गले आज सब,
भूल जायं हर  बात  पुरानी |

भारत के बच्चों  को मिलकर,
काम अभी इतना  करना है |
एक नए  आदर्श देश   को,
हम सबने मिलकर रचना है |

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