एक सवाल
- डा.राज सक्सेना
एक पुत्र ने,निश्छल मन से,
किया पिता से एक सवाल |
हिन्दू-मुस्लिम होते क्या हैं,
कभी-कभी क्यों करें बबाल |
पापा बोले धर्म अलग है,
कुछ आचार नहीं मिलते हैं |
सामाजिक कुछ नियम अलग है,
मूल विचार नहीं मिलते हैं |
मन्दिर में हिन्दू की पूजा,
मस्जिद में मुस्लिमी नमाज |
हिन्दू रखें अनेकों,एक माह के-,
रोजे रखता , तुर्क समाज |
'पापा मन्दिर' बोला बेटा,
का निर्माण ,करे भगवान |
या फिर रचना हर मस्जिद की,
आकर खुद करता रहमान |
सब धर्मी मजदूर मिस्त्री,
मिल कर इनको यहां बनाते |
बन कर पूरा, होते ही क्यों,
दोनों अलग-अलग हो जाते |
हिन्दू कहता ईश एक है,
मुस्लिम कहता एक खुदा |
जैन,बौद्ध और सिख,ईसाई,
मिलकर भी क्यों रहें जुदा |
बच्चे हम सब एक पिता के,
ना पूजा घर एक बनाते |
हमसब के त्योहार अलग क्यों,
मिलकर हम क्यों नहीं मनाते |
ईश पिता जब एक सभी का,
फिर तनाव की बात कहां है |
सबका ईश्वर एक जगत में,
सबकी धरती एक जहां है |
रक्त एक सा, शक्ल एक सी,
सब कहते हम हिन्दुस्तानी |
बच्चे मिलकर गले आज सब,
भूल जायं हर बात पुरानी |
भारत के बच्चों को मिलकर,
काम अभी इतना करना है |
एक नए आदर्श देश को,
हम सबने मिलकर रचना है |
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