मंगलवार, 15 नवंबर 2011

अब भारत है तुम्हें बचाना |




अब भारत है तुम्हें  बचाना |


अपनों से लुटपिट कर हम तो,
नही लिख सके नया फसाना |
भारत की समृद्द संस्कृति,
बच्चो अब है तुम्हें बचाना ||

मची हुई है खुली लूट जो,
कैसे उस पर रोक लगेगी |
बापू ने जो सपना देखा,
वैसी दुनिया कभी मिलेगी ?

सत्य,अहिंसा,प्रेम देश में,-
सिर्फ तुम्हारे जिम्मे लाना |
भारत की समृद्द संस्कृति,
बच्चो अब है तुम्हें बचाना |

सिर्फ लंगोटी जैसी धोती,
मन में लेकर स्वप्न सुहाना |
बुनना चाहा था बापू ने,
इस भारत का ताना-बाना |

बापू के सारे सपने अब,-
खींच धरा पर तुमने लाना |
भारत की समृद्द संस्कृति,
बच्चो अब है तुम्हें बचाना |

भारत मां के लाज वस्त्र तक,
लूट रहे हैं मिल कर सारे |
हाथ बांध हम देख रहे हैं,
इनके हर करतब टकियारे |

चट  करने की  ना है सीमा ,
खाते हैं पशु तक का दाना |
भारत की समृद्द संस्कृति,
बच्चो अब है तुम्हें बचाना |

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