मंगलवार, 29 नवंबर 2011

शान है बेटी


          खुदा की शान है बेटी

पराया कह दिया किसने,हमारी जान है बेटी |
हमारी आंख का मोती,हमारी आन  है बेटी |
सहा करती है सब हंसकर,कभी न उफ तलक बोली,
बढाता है जो इज्जत को,वही भगवान् है बेटी |
जरुरत है हरएक घर की,बिना इसके अधूरा सब,
खुदा का एक तोहफा है,अजी सम्मान है बेटी |
ये मेहमां एक घर की है,तो रौनक दूसरे घर की,
उजाला दो घरों का है,कई अरमान है बेटी  |
जरुरत हर बशर की है,अजल से ये कयामत तक,
अगर तन हम सभी हैं तो,हमारी प्रान है बेटी |
कभी मां है,कभी हमदम,कभी कुछ भी नहीं फिर भी,
हमारी हर बुलन्दी की, सही पहचान है बेटी |
दुआ है ये बुजुर्गों की,अता की है खुदा ने जो,
है नूर-ए-चश्म हम सबकी,खुदा की शान है बेटी |

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