मंगलवार, 15 नवंबर 2011

नीड़ बनाया


       नीड़ बनाया
कहां सीख कर आई हो तुम,
गृह - निर्माण     सवैय्या |
कितना सुन्दर नीड़ बना कर,
रहती       हो   गौरय्या |

तिनका-तिनका चुनकर तुमने,
कला-कृति    रच    डाली |
सबसे ऊंची डाल    सुरक्षित,
उस  पर   यह    लटकाली |

अन्दर-बाहर चिकना   करके,
कमरे      तीन     सजाए |
छोटे-छोटे गोल   द्वार    भी,
इसमें       कई     बनाए |

सुन्दर सूखे   पत्ते     लेकर,
तुमने       नीड़    सजाया |
मन करता है  मैं भी   रहलूं,
लेकिन  पहुंच   न     पाया |

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