शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

gandhi ekaadashi

       गांधी-एकादशी(वर्तमान परिप्रेक्ष्य में)
                       -डा.राज सक्सेना
गांधी जी को  बेचते, कुछ बौने इन्सान |
कौड़ी-कौड़ी कर दिया,गांधी जी का मान |

गांधी के सन्मार्ग को, करके बौने बन्द |
घड़ियाली आंसू बहा, भोग रहे आनन्द |

राजनीति की मौज है,जनता है सब रंक | 
गांधी जी के देश में,चले पुलिस आतंक |

गांधी जी के  नाम पर, सहती  अत्याचार |
भोली जनता ने किया, इसपर कभी विचार |

भारत में गांधी दिवस, ले औपचारिक रूप |
मस्ती का दिन बन गया,पावन से अपरुप |

गांधी जी के शिष्य कुछ,मिथ्या कर आचार |
राजनीति में रच रहे,  नित्य नया आधार |

गांधी जी के नाम पर,मिट जाते थे  लोग |
बना नाम उपहास का, अदभुत है  संयोग |

माला गांधी नाम की,रटते पल-पल नित्य |
झूठ रहा फलफूल अब, सत्य बना नेपथ्य |

मूर्त रूप गांधी बने , देख  रहे सब खेल  |
महलों में है झूठ अब, सत्य भोगता जेल |

गांधी की खादी कहीं, औंधी पड़ी   निढाल |
पर खादी के वस्त्र में, नेता  हुए  निहाल |

गांधी दर्शन का करें,  चेले    सत्यानाश |
सिर्फ किताबों में मिले, दर्शन का संवास | 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें