शनिवार, 24 सितंबर 2011

oonche lakshya


        ऊंचे लक्ष्य
              डा.राज सक्सेना
ऊंचे लक्ष्य रखो जीवन में,
सपने ऊंचे-ऊंचे    देखो |
किन्तु खड़े हो जिस धरती पर,
वह धरती भी पल-पल देखो |

है आधार , धरातल यह है,
इससे भी तुम बिछड़ न जाना |
भारत - माता की गोदी  का,
ध्यान हृदय से नहीं  हटाना |

जन्म भूमि है जीवन - दायी,
पाल पोस कर बड़ा किया  है |
जो  भी  पाया दिया इसी  ने,
निज पैरों पर खड़ा किया  है |

संस्कार,शिक्षा  सब  देकर-,
इसने  हमको योग्य बनाया |
मूल यही है जिसके बलपर ,
आदर ,वैभव सबकुछ  पाया |

याद हृदय में रखना  इसकी,
भारत माता,मां से बढ़ कर |
इसकी गोद  चैन  जो देगी ,
वह हर सुख से है बढ़ कर |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें