डा.राज सक्सेना सम्पर्क-धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
(डा.राज किशोर सक्सेना) खटीमा-262308 (उ.ख.)
पूर्व जिला परियोजना निदेशक,न.वि.अभिकरण, पिथौरागढ, फोन-05943252777
पूर्व अधिशासी अधिकारी,मसूरी, मोबा.- 9410718777
पूर्व सहा.नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून -8057320999
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विदा बन्दरिया की
- डा.राज सक्सेना
डम डमाक डम करे मदारी,
बन्दर चाल दिखाए |
कन्धे पर रख लम्बी लाठी,
विदा कराने जाए |
देख-देख बन्दर राजा को,
बन्दरिया मुस्काए |
सजी-धजी ढेरों गहनों से,
अपनी कमर हिलाए |
जब बन्दर कहता चलने को,
नखरे बहुत दिखाए |
हाथ जोड़्ता बन्दर उसके,
तब राजी हो जाए |
ठुमक-ठुमककर चलती अपने,
ससुरे में जब आए |
सर पर एक ओढनी डाले,
घूंघट में छिप जाए |
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सैर गगन की
- डा.राज सक्सेना
आंखो में मेरी आ जाती,
अपने पंख हिलाती |
मां जब परीकथा का मुझको,
किस्सा नया सुनाती |
मुझे नींद में पा परियों की-
रानी स्वंय जगाती |
और उठा अपनी गोदी में,
दूर गगन ले जाती |
ऊपर आसमान में उड़ना,
लगता कितना प्यारा |
लगते खेत क्यारियों जैसे,
घर डिब्बी सा सारा |
मां सी सुन्दर परी आंख में,
निंदिया जब भी पाती |
चुपके से आकर धरती पर,
मां के पास सुलाती |
नींद टूटती जब मेरी तब,
मां फिर परी बुलाती |
परी कथा मां के कहते ही,
नींद मुझे आ जाती |
पुकार अजन्मी कन्या की
- डा.राज सक्सेना
कोख से तेरी बोल रही हूं,
मां मैं तेरी बेटी |
मेरी असमय हत्या करने,
क्यों बिस्तर पर लेटी ?
मैं भी तेरा अंश हूं माता,
मगर नहीं क्यों भाता |
ऐसा क्या करती हूं मैं जो,
तुझसे सहा न जाता |
पैदा होते ही अनचाही ,
स्थिति मैं पाती हूं |
बचेखुचे कुछ टुकड़े पाकर,
मैं भी जी जाती हूं |
बिनवेतन के नौकर जैसी,
घर में स्थिति मेरी |
ताने खाकर भी जी लेती,
जो हो स्थिति मेरी |
जिसके गले बांध देती है,
बिन बोले जाती हूं |
जितना भी दुःख मिले हमेशा,
सह कर मुस्काती हूं |
दूर कहीं भी रहूं मगर मैं,
प्यार सभी से करती |
दोनों पक्षों की इज्जत को,
सर पर अपने रखती |
भय्या कुछ भी करे, नहीं पर्,
बात बड़ी बन पाती ?
मेरे आंख उठाने भर से,
सबकी इज्जत जाती ?
समझ बराबर पुत्र-पुत्रियां,
नहीं हमें क्यों पालें ?
पुत्री को धुत्कार रहे सब,
पुत्र प्यार से पालें ?
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