रविवार, 25 सितंबर 2011

chalnaa sadakon par

   चलना सड़कों पर 

चलना सड़कों पर सिखलाएं |
आओ बच्चों नियम  बताएं |

अगर सड़क पर तुमको आना,
बाएं चलना भूल  न   जाना |

ट्रैफिक देख लैफ्ट हो  जाओ ,
बच ट्रैफिक से बढ़ते  जाओ |

जो मुड़ कर दांऍ है   जाना,
ज़ेब्रा क्रासिंग से तुम आना |

ट्रैफिक लाइट लाल जो पाओ,
ट्रैफिक रुके तो तुम बढ़ जाओ |

अगर  कहीं  बांए  है  जाना,
बांए  देखो तब  मुड़  जाना |

दांए-बांए  कभी  मुड़ो   तुम,
हाथ हिला सिगनल देदो  तुम |

सावधान और सजग   रहोगे,
पूर्ण सुरक्षित    तभी  रहोगे |

नियम पालना   आदत डालो,
सुखी,सुरक्षित    जीवन पालो | 

chandra shekhar aajaad


       चन्द्र शेखर आजाद
                   -डा.राजसक्सेना
हे शीर्ष शिखर आजादी के,
स्वीकार करो शतशत प्रणाम |
हो सर्वश्रेष्ठ बलिदानी तुम,
भारत भर में हो श्रेष्ठनाम |

प्रातः स्मरणीय शिखर'चन्द्र',
तुम सा बलिदानी कौन बने |
सौ धन्य-धन्य उस माता को,
जो 'शेखर' जैसा लाल जने |

है आज जरुरत बस इतनी,
तुम जैसा नेता  आ जाये |
सड़ चुकी व्यवस्था भारत की,
'आजाद'इसे वह कर जाये |

अवतरित तुरत हो जाओ तुम,
इस त्राहि-त्राहि को दूर करो |
भारत माता के पौंछ अश्रु,
भारत भर का कल्याण करो |

ghar aanaa

       मेरे घर आओ
और दिनों तो दिखते हो तुम,
एक दिवस तुम नज़र न आते |
रात अमावस की तुम मामा, 
हम से छुपकर कहां बिताते |

अतिथि होकर इस दिन मामा,
दूर  कहीं पर तुम  हो आते |
इसी लिये तुम प्यारे मामा,
रात्रि अमावस नजर न आते |

एक दिवस तो मिलता ही है,
जब छुट्टी तुम कर लेते हो |
हम बच्चों से इस दिन मामा,
आकर तो तुम मिल सकते हो |

मम्मी पापा से मिल लेना,
खाना हिलमिल कर खा लेंगे |
फिर पिकनिक पर दूर दूर तक,
बातें करते  हम जा  लेंगे |

मेरे मित्रों से मिलना तुम,
बातें उनको नई   बताना |
वापस जाते याद सभी की,
तुम अपने दिल में लेजाना | 

शनिवार, 24 सितंबर 2011

oonche lakshya


        ऊंचे लक्ष्य
              डा.राज सक्सेना
ऊंचे लक्ष्य रखो जीवन में,
सपने ऊंचे-ऊंचे    देखो |
किन्तु खड़े हो जिस धरती पर,
वह धरती भी पल-पल देखो |

है आधार , धरातल यह है,
इससे भी तुम बिछड़ न जाना |
भारत - माता की गोदी  का,
ध्यान हृदय से नहीं  हटाना |

जन्म भूमि है जीवन - दायी,
पाल पोस कर बड़ा किया  है |
जो  भी  पाया दिया इसी  ने,
निज पैरों पर खड़ा किया  है |

संस्कार,शिक्षा  सब  देकर-,
इसने  हमको योग्य बनाया |
मूल यही है जिसके बलपर ,
आदर ,वैभव सबकुछ  पाया |

याद हृदय में रखना  इसकी,
भारत माता,मां से बढ़ कर |
इसकी गोद  चैन  जो देगी ,
वह हर सुख से है बढ़ कर |

baal divas

       बाल दिवस 
बाल दिवस है आज देश में,
बच्चों का त्योहार मनोहर |
जन्म दिवस चाचा नेहरु का,
हम बच्चों की पुण्य धरोहर |

बच्चों से चाचा नेहरु का, 
अन्तर्मन से प्यार रहा था |
हर गरीब बच्चे से उनका, 
मन से जुड़ा लगाव रहा था |

बच्चों की उन्नति को लेकर,
कई योजना लेकर   आये |
जिससे बच्चों के जीवन में,
खुशियां ही खुशियां भर जायें |

दूर गगन पर बैठे   चाचा,
हमें आज भी देख रहे  हैं |
बच्चों का जो ख्वाब बुना था,
उसको  फलता देख रहे हैं |

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

teenon bandar

          तीनों बन्दर
               -डा.राज सक्सेना
गांधी जी के तीनों बन्दर ,
बैठे बाल-पार्क के अन्दर |
सुखकरजीवन को जीने के,
बांट रहे हैं सबको मन्तर |

हाथ कानपर रखकर भोला,
हम सबसे यह मन्तर बोला |
नहीं किसी की सुनो बुराई,
सुखी रहोगे राज ये खोला |

हाथ आंख पर रखकर भाई,
कह्ता यह मत देख बुराई |
अच्छा अच्छा सबकुछ देखो,
नहीं किसी से ठने लड़ाई |

मुख पर हाथ रखे जो रहता,
हाथ हटा कर हम से कहता |
मैं मन्तर यह बता रहा हूं ,
बुरा न बोले सुख से रहता |

बापू ने यह सूत्र    सुझाये ,
बन्दर तीन प्रतीक  बनाये |
सत्य,शान्ति,सुख रहे हमेशा,
इनके माध्यम से सिखलाये |
   
   धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,
खटीमा-२६२३०८ (उ०खण्ड)
मो- ०९४१०७१८७७७

gandhi ekaadashi

       गांधी-एकादशी(वर्तमान परिप्रेक्ष्य में)
                       -डा.राज सक्सेना
गांधी जी को  बेचते, कुछ बौने इन्सान |
कौड़ी-कौड़ी कर दिया,गांधी जी का मान |

गांधी के सन्मार्ग को, करके बौने बन्द |
घड़ियाली आंसू बहा, भोग रहे आनन्द |

राजनीति की मौज है,जनता है सब रंक | 
गांधी जी के देश में,चले पुलिस आतंक |

गांधी जी के  नाम पर, सहती  अत्याचार |
भोली जनता ने किया, इसपर कभी विचार |

भारत में गांधी दिवस, ले औपचारिक रूप |
मस्ती का दिन बन गया,पावन से अपरुप |

गांधी जी के शिष्य कुछ,मिथ्या कर आचार |
राजनीति में रच रहे,  नित्य नया आधार |

गांधी जी के नाम पर,मिट जाते थे  लोग |
बना नाम उपहास का, अदभुत है  संयोग |

माला गांधी नाम की,रटते पल-पल नित्य |
झूठ रहा फलफूल अब, सत्य बना नेपथ्य |

मूर्त रूप गांधी बने , देख  रहे सब खेल  |
महलों में है झूठ अब, सत्य भोगता जेल |

गांधी की खादी कहीं, औंधी पड़ी   निढाल |
पर खादी के वस्त्र में, नेता  हुए  निहाल |

गांधी दर्शन का करें,  चेले    सत्यानाश |
सिर्फ किताबों में मिले, दर्शन का संवास | 

शनिवार, 17 सितंबर 2011

      कोमल मन
नन्हे-नन्हे जिगर के टुकड़े,
भेज रहे इनको    स्कूल |
कोमल,नाजुक नये नवेले,
ये सब हैं,बगिया के फूल |

नहीं जानते सख्ती क्या है,
बड़े प्यार से पले बढ़े  हैं |
नाम डांट का सुना नहीं है,
रहे प्यार के बीच खड़े  हैं |

अगर प्यार से कहें इन्हें तो,
सब कुछ ये करते जायेंगे |
हुई कड़ाई इन पर यदि तो,
कोमल मन ना सह पायेंगे |

जितना भी सम्भव हो इनको,
आप प्यार से ही समझाना |
सरल तरीके से सब  बातें,
खेल-खेल में ही बतलाना  |

खेल-खेल में सारी   बातें,
जल्दी बहुत समझ जायेंगे |
याद रखेंगे बहुत दिनों तक,
मन मस्तक में रख पायेंगे |

जल्दी सोना,  जल्दी उठना,
अच्छा होता , इन्हें बताना |
मात-पिता गुरु आदि बड़ों के,
पैर नियम से छुयें  सिखाना |

सेवा  सबसे  बड़ी देश की,
अपने शिक्षकगण करते  हैं |
नींव  देश  की हैं ये बच्चे,
जिनको सुद्दढ ये करते  हैं |

अच्छा देश  बनाना  है तो,
गुरुवर अच्छे  बाल बनाओ |
इन्हें संवारो ,उच्च देश  का,
सुन्दर एक भविष्य बनाओ |
      सरस्वती-वन्दना
शारदे कुछ इस तरह का,अब मुझे वरदान दे |
निज चरण में बैठने का,अल्प सा  स्थान दे |
      साहित्य-गंगा से लबालब,
      मस्तिष्क को आपूर्ति  दे |
      हो जनन साहित्य   नव,
      यह श्रेष्ठतम स्फूर्ति   दे  |
गीत गंगा को मेरी,नित-नित नये आयाम दे |
निज चरण में बैठने का,अल्प सा  स्थान दे |
      हो सृजन सबसे  अनूठा,
      प्रेम की  रस-धार  हो |
      शब्द हों आपूर्त रस  में,
      अक्षरों में   प्यार  हो  |
मधु सरीखा कंठ दे, रस-पूर्ण मंगलगान  दे |
निज चरण में बैठने का,अल्प सा  स्थान दे |
      त्याग-मय जीवन  मिले,
      निर्लिप्त मन मन्दिर रहे |
      प्रेम-पूरित हों वचन सब,
      जिनको यह जिव्हा  कहे |
गंध सा फैले जगत में,वह मुझे यश-मान दे |
निज चरण में बैठने का,अल्प सा  स्थान दे |

दूर गगन से आती चिड़िया |
सबके मन को भाती चिड़िया |
मीठी तान सुनाती चिड़िया-,
मधुर स्वरों में गाती चिड़िया |

आंगन में आ जाती चिड़िया |
फुदक-फुदक उड़ जाती चिड़िया |
दिखे अन्न  का  दाना कोई,
ठीक वहीं पर जाती  चिड़िया |

आ कर नाच दिखाती चिड़िया |
फिर सीढ़ी चढ़  जाती चिड़िया |
आगे - पीछे  मां के  जाकर ,
उनका मन बहलाती  चिड़िया |

फिर करतब दिखलाती चिड़िया |
चोंच में दाना   लाती चिड़िया |
पहुंच घोंसले नवजात बुलाकर-,
दाना उन्हें खिलाती  चिड़िया  |

मां कोई हो, पशु या चिड़िया |
बच्चे   शैतानी   की पुड़िया |
देते कुछ दुख अपनी मां को ,
मां सबकुछ सह लेती दुखिया |

harit banaayen


      हरित बनाएं
पप्पू,टिल्लू,कल्लू, राजा |
नया खेल एक खेलें आजा |
ना तुरही,ना तबला कुछ भी,
ना शहनाई ना  कोई बाजा |

नया वर्ष इस तरह  मनाएं |
पूर्ण नगर नव हरित बनाएं |
नए-नए हितकारी  पौधे-,
हर घर में इस वर्ष लगाएं |

हर घर में फलदार वृक्ष हो |
जिसका हर रसदार पक्ष हो |
हर बच्चा दस पेड़ लगाए-,
हम सबका इसबार लक्ष हो |

तीन वर्ष में जब फल आएं |
खुद खाएं मित्रों को खिलाएं |
पास पड़ौस में बांटें सबको,
सबको सुन्दर स्वस्थ बनाएं |