गांधी-एकादशी(वर्तमान परिप्रेक्ष्य में)
-डा.राज सक्सेना
गांधी जी को बेचते, कुछ बौने इन्सान |
कौड़ी-कौड़ी कर दिया,गांधी जी का मान |
गांधी के सन्मार्ग को, करके बौने बन्द |
घड़ियाली आंसू बहा, भोग रहे आनन्द |
राजनीति की मौज है,जनता है सब रंक |
गांधी जी के देश में,चले पुलिस आतंक |
गांधी जी के नाम पर, सहती अत्याचार |
भोली जनता ने किया, इसपर कभी विचार |
भारत में गांधी दिवस, ले औपचारिक रूप |
मस्ती का दिन बन गया,पावन से अपरुप |
गांधी जी के शिष्य कुछ,मिथ्या कर आचार |
राजनीति में रच रहे, नित्य नया आधार |
गांधी जी के नाम पर,मिट जाते थे लोग |
बना नाम उपहास का, अदभुत है संयोग |
माला गांधी नाम की,रटते पल-पल नित्य |
झूठ रहा फलफूल अब, सत्य बना नेपथ्य |
मूर्त रूप गांधी बने , देख रहे सब खेल |
महलों में है झूठ अब, सत्य भोगता जेल |
गांधी की खादी कहीं, औंधी पड़ी निढाल |
पर खादी के वस्त्र में, नेता हुए निहाल |
गांधी दर्शन का करें, चेले सत्यानाश |
सिर्फ किताबों में मिले, दर्शन का संवास |
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