मेरे घर आओ
और दिनों तो दिखते हो तुम,
एक दिवस तुम नज़र न आते |
रात अमावस की तुम मामा,
हम से छुपकर कहां बिताते |
अतिथि होकर इस दिन मामा,
दूर कहीं पर तुम हो आते |
इसी लिये तुम प्यारे मामा,
रात्रि अमावस नजर न आते |
एक दिवस तो मिलता ही है,
जब छुट्टी तुम कर लेते हो |
हम बच्चों से इस दिन मामा,
आकर तो तुम मिल सकते हो |
मम्मी पापा से मिल लेना,
खाना हिलमिल कर खा लेंगे |
फिर पिकनिक पर दूर दूर तक,
बातें करते हम जा लेंगे |
मेरे मित्रों से मिलना तुम,
बातें उनको नई बताना |
वापस जाते याद सभी की,
तुम अपने दिल में लेजाना |
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