शनिवार, 17 सितंबर 2011

      कोमल मन
नन्हे-नन्हे जिगर के टुकड़े,
भेज रहे इनको    स्कूल |
कोमल,नाजुक नये नवेले,
ये सब हैं,बगिया के फूल |

नहीं जानते सख्ती क्या है,
बड़े प्यार से पले बढ़े  हैं |
नाम डांट का सुना नहीं है,
रहे प्यार के बीच खड़े  हैं |

अगर प्यार से कहें इन्हें तो,
सब कुछ ये करते जायेंगे |
हुई कड़ाई इन पर यदि तो,
कोमल मन ना सह पायेंगे |

जितना भी सम्भव हो इनको,
आप प्यार से ही समझाना |
सरल तरीके से सब  बातें,
खेल-खेल में ही बतलाना  |

खेल-खेल में सारी   बातें,
जल्दी बहुत समझ जायेंगे |
याद रखेंगे बहुत दिनों तक,
मन मस्तक में रख पायेंगे |

जल्दी सोना,  जल्दी उठना,
अच्छा होता , इन्हें बताना |
मात-पिता गुरु आदि बड़ों के,
पैर नियम से छुयें  सिखाना |

सेवा  सबसे  बड़ी देश की,
अपने शिक्षकगण करते  हैं |
नींव  देश  की हैं ये बच्चे,
जिनको सुद्दढ ये करते  हैं |

अच्छा देश  बनाना  है तो,
गुरुवर अच्छे  बाल बनाओ |
इन्हें संवारो ,उच्च देश  का,
सुन्दर एक भविष्य बनाओ |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें