ऊंचे लक्ष्य
डा.राज सक्सेना
ऊंचे लक्ष्य रखो जीवन में,
सपने ऊंचे-ऊंचे देखो |
किन्तु खड़े हो जिस धरती पर,
वह धरती भी पल-पल देखो |
है आधार , धरातल यह है,
इससे भी तुम बिछड़ न जाना |
भारत - माता की गोदी का,
ध्यान हृदय से नहीं हटाना |
जन्म भूमि है जीवन - दायी,
पाल पोस कर बड़ा किया है |
जो भी पाया दिया इसी ने,
निज पैरों पर खड़ा किया है |
संस्कार,शिक्षा सब देकर-,
इसने हमको योग्य बनाया |
मूल यही है जिसके बलपर ,
आदर ,वैभव सबकुछ पाया |
याद हृदय में रखना इसकी,
भारत माता,मां से बढ़ कर |
इसकी गोद चैन जो देगी ,
वह हर सुख से है बढ़ कर |
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