श्रद्धान्जलि
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अधुनातन युग के संत प्रवर,
हे काल - खण्ड के निर्माता |
कर दिये विखण्डित दोष सभी,
हे धर्म ध्वजा के परित्राता |
थे सत्य-मित्र नव भारत के,
हिन्दू इतिहास रचयिता थे |
पाखण्ड विखण्डक सर्वमान्य,
एक नवलसोच की सरिता थे |
सत्यार्थ प्रकाश दे दीप-दान,
भारत में जनमत रच डाला |
एक नई दिशा दी भारत को,
अन्तर्मन जगमग कर डाला |
पाखण्ड रहित वैदिक विचार,
जन के मन में आरोपित कर |
वैदिक संस्कृति को नवजीवन,
दे दिया पुनर्स्थापित कर |
अभिनव विचार से दे प्रकाश,
कर दिए प्रकाशित मार्ग सभी |
एक केन्द्र बिन्दु की राह दिखा,
कर दिये वहां एकत्र सभी |
संघर्ष मतों का न्यून किया,
सौहार्द बढाया आपस का |
श्रंखला सरीखा गूंथ दिया,
सम्मान बढाया मानव का |
हिन्दी माध्यम विद्यालय दे,
स्थिर हिन्दी का मान किया |
उत्तर, पश्चिम हर सीमा में,
हिन्दी को नवप्रतिमान दिया |
एकेश्वर- अमूर्त का सर्व-मान्य,
दे दिया सरल जन - जीवन को |
कर आर्य संस्कृति का स्थापन,
कर दिया आर्य सबके मन को |
कर दूर दोष मत सम्मत के,
एक आर्य जगत निर्माण किया |
शोषित- शोषक को एक बना,
शोषित जन का कल्याण किया |
कितने ही वार सहे तन पर,
वैश्या के वारों को झेला |
पर अडिग रहे अपने मत पर,
कर दिया दूर, दुख का मेला |
एक अलग समाज श्रेष्टजन का,
भारत को आर्य समाज दिया |
बाधाएं जितनी रची गईं,
श्रीमुख से सब परित्राण किया |
जब जहर पिलाया गया उन्हें,
प्रसाद समझ कर ग्रहण किया |
हे दयानन्द सरस्वती संत-श्रेष्ट,
सन्यासी बन जनकल्याण किया |
लाखों श्रद्धांजलि देकर उनसे,
हम उऋण नहीं कणभर होंगे |
गौरवगानों को सतत करें,
ना वणिर्त,वे क्षण भर होंगे |
श्रद्धा के सुमन समर्पित हैं,
हे सरस्वतीपुत्र, हे सन्यासी |
जगमग हिन्दी भाषा करने,
बन गए आप हिन्दी न्यासी |
हिन्दी चेरी से उठ ऊपर,
बन गई देश की जनभाषा |
भारत हिन्दीमय देश बना,
कर गए पूर्ण जन अभिलाषा |
अर्पण श्रद्धा के सुमन लक्ष,
कलियुग में सतयुग निर्माता |
सौ कोटि-कंठ की जयकारें,
स्वीकार करें हिन्दी त्राता |
मन में पलती यह श्रद्धा है,
यह सतत समर्पित महाप्राण |
जो सपने लेकर चले आप,
शोषित जन का कर रहे त्राण |
आ गया भार अब यह हमपर,
उन सपनों को साकार करें |
जग भर को आर्य बना डालें,
कोशिश यह बारम्बार करें |
धनवर्षा,हनुमान मन्दिर,खटीमा-262308
मो.-9410718777, 8057320999
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