बुधवार, 27 जुलाई 2011

kaisamama kiska maamaa

           कैसा मामा किसका मामा
                                     - डा. राज सक्सेना 
कैसा मामा किसका मामा,चंदा लगता किसका मामा  |

क्या मामा धरती पर आया ,क्या आकर हमको दुलराया ,.
साथ ले गया कभी गगन में,तारा मंडल भी दिखलाया !
झूठ बोलते खा -मो -खामा,कैसा मामा किसका मामा !

कभी नहीं बाज़ार घुमाया, कभी नहीं पिज्जा खिलवाया,
न बन्दर सी खों-खों करके,जब रोते हम कभी हंसाया !
फिसले तो ना बाजू थामा,कैसा मामा किसका मामा !

कभी नहीं जंगल दिखलाया,ना भालू से कभी मिलाया,
गिफ्ट नहीं कोई दिलवाई,नहीं कथा किस्सा सुनवाया !
ना ढपली न सा रे गा मा,कैसा मामा किसका मामा !

मामा के संग बुढ़िया आती ,साथ एक चरखा  भी लाती,
हमें नई नानी मिल जाती,मौज हमारी तब बढ़ जाती !
खादी का  सिलती पजामा,कैसा मामा किसका मामा !

मामा है तो अब भी आये,अपने रथ पर हमें बिठाये,
दूर गगन की सैर कराकर,अच्छी-अच्छी कथा सुनाये !
और अधिक न दे अब झामा ,कैसा मामा किसका मामा !

    -धन वर्षा ,हनुमान मंदिर,खटीमा-262308 (उ.ख)
      मो.- 09410718777

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