सोमवार, 10 अक्टूबर 2011

vigyaan kundaliyaan



विज्ञान-कुण्डलियां

गाड़ी पर उल्टा लिखा, एम्बुलेंस क्यों मित्र | 
आगे  गाड़ी जा रही, मिले मिरर को चित्र |
मिले मिरर को चित्र, सदा   उल्टा आएगा ,
सीधा लिख दें अगर,  पढा   कैसे जाएगा |
कहे'राजकविराय',  इसी से उल्टा लिखते,
बैकव्यु मिरर में देख, उसे हम सीधा पढते |
          -०-
जले बल्ब स्विचआन से,ट्यूब लगाये देर |
पप्पू के मस्तिष्क में,घूम रहा  यह फेर |
घूम रहा यह फेर, सुनो पप्पू   विज्ञानी,
ट्यूब बिजली के मध्य,चोक स्टार्टर ज्ञानी |
कहे'राजकविराय',पहुंचती जब दोनों  में,
लेती थोड़ी देर , इसी से वह उठने  में |
          -०-
पप्पू मारे हाथ, समझ में कुछ न आता |
क्यों आता है ज्वार,और क्यों आता भाटा |
और् क्यों आता भाटा,लहर यूं बनती क्यों है,
ऊंची उठती लहर,पुनः फिर गिरती क्यों है |
कहे'राजकविराय'गुरुत्वधरा चन्दा से ज्यादा,
इसी वजह से नित्य,ज्वार और भाटा आता |
          -०-
पप्पू फ्रिज जब खोलता,फ्रीजर ऊपर होय |
सब में ऊपर देखकर,सिर धुनना ही होय |
सिरधुनना ही होय,खेल ये समझ नआया ,
फ्रीजर ऊपर बना रहा है,हर फ्रिज  वाला |
कहे'राज'हवा गर्म, नीचे से ऊपर उठती,
ऊपर फ्रीजर से टकराकर, ठंडी हो  जल्दी |
           -०-
पृथ्वी अपने अक्ष पर, झुक साढे  तेईस |
करती है वह परिक्रमा,गिन कर पूरी तीस |
गिनकर पूरी तीस,ऋतु बदले सूर्य किरन से,
मध्य, मकर, कर्क रेखा पर चाल बदल के |
कहे'राजकविराय', गर्म-ठंडी या तम देखो,
सीधी पड़ती गर्म , नही तो ठंडा क्रम देखो |
           -०-
गरम करो जब दूध को,उफन सिरे से जाय |
पानी जितना भी करो, ना उफने जल जाय |
ना उफने जल जाय, भेद यह समझ नआया,
पप्पू ने पापा को, अपना यह प्रश्न  बताया |
कहे'राज'दूध में जमती परत भाप न निकले,
अन्दर भभके  भाप, दूध संग लेकर उफने |

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